Saturday, April 11, 2020

तेल रिफाइनरीज के बंद होने का खतरा


नई दिल्ली । कोरोना वायरस के चलते देश में लॉकडाउन ने हर किसी की कमर तोड़ दी है। खास और आम जनता एवं कारोबारी परेशान हैं। इसके असर से  देश की ज्यादातर ऑइल रिफाइनिंग कंपनियां भी नहीं बच सकी हैं। लॉकडाउन की वजह से जहां पेट्रोल और डीजल की बिक्री में ऐतिहासिक गिरावट आई है वहीं एलपीजी की आपूर्ति बरकरार रखने के लिए रिफाइनरी भी चलानी पड़ रही है। ऐसे में तेल कंपनियों के सभी भंडार और टैंक—टैंकर फुल होने की कगार पर हैं। हालांकि कंपनियां प्रोसेस में थोड़ा फेरबदल कर रही हैं ताकि ऐसी स्थिति से जूझ सकें, लेकिन उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि लॉकडाउन की अवधि बढ़ी तो क्या होगा? अधिकारी का कहना है कि इस समय डीजल, पेट्रोल और केरोसीन ही नहीं, बल्कि ल्यूब ऑइल की ब्रिक्री में ऐतिहासिक गिरावट आई है। हवाई जहाज के ईंधन या एटीएफ की बिक्री में तो 90 फीसदी की गिरावट आई है लेकिन इसका उत्पादन नहीं रोक सकते क्योंकि देश में एलपीजी की आपूर्ति बरकरार रखने के लिए रिफाइनरी को चलाना होगा। यहां ध्यान देने वाली बात है कि जब क्रूड ऑयल को क्रैक करते हैं तो उसी प्रक्रिया में एलपीजी समेत सारे पेट्रोलियम प्रोडक्ट बनते हैं। जब एलपीजी का उत्पादन करना है तो शेष चीजों का भी उत्पादन होगा। ऐसे में उन्हें रखें कहां, यह सवाल सबको परेशान कर रहा है।
40-50 फीसदी क्षमता का ही उपयोग
इंडियन ऑइल के उक्त अधिकारी का कहना है कि अभी भी रिफाइनरी अपनी पूरी क्षमता पर नहीं चलाई जा रही हैं। किसी को 40 फीसदी क्षमता पर तो किसी को 50 फीसदी क्षमता पर चलाया जा रहा है। उनका कहना है कि देश में डीजल का सबसे बड़ा ग्राहक रेलवे है लेकिन वहां भी परिचालन रद्द होने से वहां से डीजल की मांग न के बराबर निकल रही है। आम ग्राहक तो अपने वाहन चला नहीं रहे लेकिन हाईवे पर कुछ ट्रकों के चलने से राहत है।


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